देश में पहली बार किसी कार्यरत उपराष्ट्रपति ने कार्यकाल के बीच में छोड़ा पद , राष्ट्रपति को सौंपा इस्तीफा
नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। उन्होंने यह निर्णय स्वास्थ्य कारणों के चलते लिया है। यह देश के संवैधानिक इतिहास में पहला मौका है जब किसी कार्यरत उपराष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के बीच में स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है। उनके इस कदम के बाद राजनीतिक दलों और आम जनता में आश्चर्य और चिंता दोनों दिखाई दे रहे हैं।
स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा, राष्ट्रपति को सौंपा पत्र
धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अपना इस्तीफा सौंपते हुए लिखा कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी क्षमता से नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने लिखा, “देश के प्रति मेरी निष्ठा और चिकित्सकीय सलाह को ध्यान में रखते हुए मैंने यह कठिन निर्णय लिया है।”
ध्यान देने योग्य बात यह है कि उनका कार्यकाल अभी दो साल से अधिक बचा हुआ था।
हालिया स्वास्थ्य घटनाएँ बनीं वजह
धनखड़ की तबीयत को लेकर पिछले कुछ महीनों से चिंताएँ बनी हुई थीं। जून 2025 में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल के एक समारोह में अचानक अस्वस्थ होने के बाद उन्हें राजभवन में प्राथमिक उपचार दिया गया था। जुलाई की शुरुआत में फिर सीने में दर्द की शिकायत पर उन्हें एम्स, दिल्ली में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने उन्हें पूर्ण आराम की सलाह दी थी।
सामान्य जीवन से संवैधानिक शिखर तक
राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में जन्मे धनखड़ ने सैनिक स्कूल और राजस्थान विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नाम कमाने के बाद उन्होंने 1989 में झुंझुनू से सांसद बनकर राजनीति में प्रवेश किया। बीजेपी में शामिल होने के बाद 2019 में वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनाए गए, जहां उनका कार्यकाल ममता बनर्जी सरकार के साथ कई बार टकरावों के लिए चर्चित रहा। 2022 में एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर उपराष्ट्रपति निर्वाचित होकर उन्होंने मार्गरेट अल्वा को हराया।
