देहरादून : उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शनिवार को पूरी हो गई। चुनावी माहौल के बीच जहां ग्राम प्रधान पदों के लिए जबरदस्त भागीदारी देखने को मिली, वहीं ग्राम पंचायत सदस्य पदों के लिए उम्मीद से काफी कम नामांकन सामने आए हैं। इससे राज्य निर्वाचन आयोग की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि बड़ी संख्या में पद रिक्त रह सकते हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, प्रारंभिक तीन दिनों में 66,418 पदों के लिए कुल 32,239 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। इनमें से ग्राम प्रधान पद के 7499 पदों पर 15,917 नामांकन दर्ज हुए, जबकि ग्राम पंचायत सदस्य के 55,587 पदों के लिए केवल 7235 नामांकन ही आए। शनिवार को नामांकन का अंतिम दिन था, लेकिन आयोग के अनुसार ग्राम पंचायत सदस्य पदों के प्रति उत्साह अपेक्षाकृत कम ही रहा।
नामांकन के बाद अगला चरण
अब आयोग 7 से 9 जुलाई तक नामांकन पत्रों की जांच करेगा। इसके बाद दोनों चरणों के लिए नाम वापसी की तिथि 10 और 11 जुलाई तय की गई है। पहले चरण का चुनाव चिह्न 14 जुलाई को आवंटित किया जाएगा और मतदान 24 जुलाई को होगा। वहीं, दूसरे चरण के लिए 18 जुलाई को चुनाव चिह्न दिए जाएंगे और 28 जुलाई को मतदान कराया जाएगा। 31 जुलाई को दोनों चरणों की मतगणना होगी, जिसके साथ ही पंचायत चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे।
सदस्य पदों पर कम नामांकन क्यों?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ग्राम पंचायत सदस्य पद को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी हो सकती है। इसके अलावा, कई स्थानों पर मतदान क्षेत्र छोटे होने के कारण लोग प्रतिस्पर्धा से बचते हैं या फिर बिना नामांकन ही निर्विरोध चुने जाने की रणनीति अपनाते हैं।राज्य निर्वाचन आयोग अब इस विषय पर अध्ययन करेगा कि आखिर इतने बड़े स्तर पर नामांकन कम क्यों हुए और भविष्य में इसे कैसे सुधारा जा सकता है।
चुनावी गणित में महिलाओं और युवाओं की दिलचस्पी
ग्राम प्रधान पदों के नामांकन में इस बार महिलाओं और युवाओं की भागीदारी पहले की तुलना में बढ़ी है। कई जिलों से सामने आ रही रिपोर्टों के अनुसार, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन और पंचायत में पारदर्शिता को लेकर महिला उम्मीदवारों ने सक्रियता दिखाई है।
