मैदानी क्षेत्रों में कोहरा शुरू होते ही देहरादून से संचालित होने वाली ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। अब ट्रेनों की रफ्तार औसत 110 किमी प्रति घंटा से घटाकर 75 किमी प्रति घंटा कर दी गई है। इससे ट्रेनें गंतव्य तक पहुंचने में अधिक समय ले रही हैं। इस कारण ट्रेनें गंतव्य तक पहुंचने के लिए तय से अधिक समय ले रहीं हैं। देहरादून से दिल्ली, हावड़ा, सूबेदारगंज, लखनऊ, आनंदविहार, टनकपुर, ओखा, नई दिल्ली, काठगोदाम और कोटा समेत अन्य रूटों पर संचालित होने वाली करीब 16 ट्रेनों के लोको पायलटों को एफएसडी (फॉग सेफ डिवाइस) दे दी गई है।
इसके अलावा ट्रेनों की गति 75 किमी प्रति घंटा निर्धारित कर दी गई है। रेलवे प्रबंधन के अधिकारियों के मुताबिक, सामान्य दिनों में ट्रेनों की औसत गति 110 किमी प्रति घंटा रहती है। वहीं, ठंड के मौसम में कोहरे के कारण दृश्यता कम होने की वजह से ट्रेनों की गति धीमी कर दी गई है। इसके लिए ट्रेनों के लोको पायलट को एफएसडी प्रदान की गई है। इससे उन्हें जीपीएस के माध्यम से आगे आने वाले सभी सिग्नलों की समय पर जानकारी मिलती रहेगी। कोहरे के कारण धीमी हुई गति से गंतव्य तक पहुंचने के लिए ट्रेनें अधिक समय ले रही हैं। इससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रेल अफसरों के मुताबिक, देहरादून रेलवे स्टेशन से हर रोज करीब 14 हजार यात्री यात्रा करते हैं।
रेलवे अफसरों की ओर से ठंड शुरू होते ही लोको पायलटों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें उनको गाड़ी चलाते समय आगे आने वाले सिग्नलों का विशेष ध्यान रखना होगा। रेलवे की ओर से यह निर्णय ठंड के मौसम में होने वाली रेल दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है। ठंड के मौसम में अक्सर रेल दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं। इससे कभी-कभी जनहानि भी होती है। इस पर नियंत्रण के लिए रेलवे पहले से ही सावधानी बरत रहा है। इसके लिए लोको पायलटों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है।