उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की राह प्रशस्त नियमावली का प्रारूप आज समिति ने सौंपा। सरकार प्रारूप का अध्ययन करने के बाद इसे अंतिम रूप देगी। समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि समिति के पास प्रकाशित प्रारूप आ चुका है। नियमावली के प्रविधानों के अनुसार मोबाइल एप भी तैयार किया गया है। दो साल और पांच माह के इंतजार के बाद अब प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने की राह प्रशस्त हो गई है। समान नागरिक संहिता की नियमावली तैयार करने वाली समिति शुक्रवार को इसका प्रारूप मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा।
सरकार प्रारूप का अध्ययन करने के बाद इसे अंतिम रूप देने के लिए कैबिनेट में प्रस्तुत करेगी। कैबिनेट से पारित होने के पश्चात नियमावली अस्तित्व में आ जाएगी। मुख्यमंत्री धामी कह चुके हैं कि राज्य स्थापना दिवस तक समान नागरिक संहिता को राज्य में लागू कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव में किए गए वादे को पूरा करते हुए 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता का प्रारूप बनाने के लिए समिति का गठन किया। समिति ने दो फरवरी 2024 को इसका ड्राफ्ट सरकार को सौंपा। इसके बाद सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर समान नागरिक संहिता विधेयक को सदन से पारित कराया। 11 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसे मंजूरी प्रदान कर दी।
इस अधिनियम को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने इसी वर्ष फरवरी में पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया, जिसने नियमावली पर कार्य शुरू किया। प्रस्तावित नियमावली में विवाह का पंजीकरण, लिव इन की सूचना और वसीयत आदि की जानकारी समान नागरिक संहिता की वेबसाइट और मोबाइल एप के माध्यम से भी दर्ज किया जाना प्रस्तावित है।वेबसाइट और मोबाइल एप लगभग बनकर तैयार हो चुके हैं। इन्हें प्रस्तावित नियमावली के अनुसार बनाया गया है। सरकार यदि नियमावली में कोई बदलाव करती है तो फिर इसमें भी बदलाव करने होंगे। समिति ने इसी सात अक्टूबर को प्रारूप को अंतिम रूप देते हुए इसे प्रकाशन को भेजा था। अब यह प्रारूप बनकर आ चुका है। समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि समिति के पास प्रकाशित प्रारूप आ चुका है। इसे शुक्रवार को सरकार को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोशिश की गई है कि नियमावली आम नागरिक के लिए सुलभ व सरल हो।