किसान आगामी दिनों में लगाई जाने वाली धान की फसल को लेकर चिंतित हैं बहरहाल कृषि क्षेत्र में आये इस बड़े संकट का कोई समाधान नहीं दिख रहा है। विधायक मुन्ना चौहान से लेकर तमाम संबंधित अधिकारी वैकल्पिक व्यवस्था के लिये हाथ पैर चला रहे हैं लेकिन कोई विकल्प नहीं निकल पा रहा है। माना जा सकता है कि व्यासी जलविद्युत परियोजना को लेकर ये एक बड़ी चूक हुई है समय रहते इस और किसी ने कोई ध्यान ही नहीं दिया जिसके चलते अबेक बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
कटा पत्थर नहर: पश्चिमी क्षेत्रों को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाने केउद्देश्य से 1840 में इस नहर का निर्माण शुरू हुआ, जो 1854 में बनकर तैयार हुई। 26 किमी लंबी इस नहर से कटा पत्थर, पिरथीपुर, लाखनवाला, फतेहपुर, तेलपुरा, ढकरानी, बादामावाला, भोजावाला आदि तमाम क्षेत्रों को पानी उपलब्ध करवाया जाता है।


