बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधान से बंद होने के साथ ही छह माह के लिए चारधाम यात्रा का पूर्ण रूप समापन हो गया है, लेकिन श्रद्धालुओं को शीतकाल में गद्दीस्थलों पर चारधामों के दर्शन व पूजा अर्चना की सुविधा होगी। साथ ही जो श्रद्धालु यात्रा के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित धामों में जाने में असमर्थ हैं, वह गद्दीस्थलों पर दर्शन कर सकते हैं। प्रदेश सरकार भी शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा दे रही, जिससे राज्य में पूरे साल पर्यटन गतिविधियां चलती रहे। केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को खुले और तीन नवंबर को बंद हुए।
बाबा केदार की पंचमुखी डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान है। अगले साल अप्रैल-मई में कपाट खुलने से पहले पंचमुखी डोली ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। शीतकाल में बाबा केदार की पूजा अर्चना ऊखीमठ में होती है। यहां पर श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन व पूजा अर्चना कर सकते हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुले थे और 17 नवंबर को बंद हो गए। धाम से उद्धव व कुबेर की डोली पांडुकेश्वर योग बदरी में विराजमान हो गईं हैं, जबकि 19 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में पहुंचेगी। पांडुकेश्वर व जोशीमठ में शीतकाल में श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना व दर्शन कर सकेंगे।
यमुनोत्री धाम के कपाट हर साल अक्षय तृतीय पर खुलते हैं। इस साल 10 मई को कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हुई। तीन नवंबर को मंदिर के कपाट बंद हुए। अगले साल कपाट खुलने तक मां यमुना डोली खरशाली स्थित यमुना मंदिर में विराजमान है। जहां पर नियमित पूजा अर्चना की जाती है। गंगोत्री धाम के कपाट 10 मई को खुले थे। दो नवंबर को विधि विधान से बंद किए गए। शीतकाल में मां गंगोत्री मुखवा में विराजमान होती है। जहां पर श्रद्धालु अगले साल कपाट खुलने तक पूजा अर्चना व दर्शन कर सकते हैं।