आयोग द्वारा पिछले 5 वर्षों में 11606 पदों के चयन हेतु 86 लिखित परीक्षायें करायी गई हैं व इनमें से अधिकांश मामलों में चयन संस्तुतियां भी प्रेषित की गई हैं। 5300 और पदों की भर्ती विज्ञप्तियां जारी की गई हैं। इनके लिए लगभग 20 परीक्षाओं का आयोजन भी इस वर्ष किया जायेगा। नई भर्ती विज्ञप्तियों में कुछ समय लगेगा क्योंकि सभी रिक्तियों का एकत्रीकरण किया जा रहा है। अभ्यर्थियों द्वारा आयोग के परीक्षा कार्यक्रम की प्रतीक्षा की जा रही है। इस क्रम में एक अनुमानित परीक्षा कार्यक्रम तय कर लिया गया है। आयोग यह प्रयास करेगा कि मार्च 2023 तक इस कार्यक्रम में निर्धारित सभी परीक्षाओं को संपन्न कर लिया जाय। साथ ही इससे संबंधित शारीरिक दक्षता परीक्षाओं, टंकण परीक्षाओं व आशुलेखन आदि परीक्षाओं को भी सितम्बर 2023 तक पूरा कर लिया जाय।
परीक्षा कार्यक्रम को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए आयोग को ऑफलाइन व ऑनलाइन (CBT) दोनों माध्यमों से परीक्षायें आयोजित करनी होंगी। अब तक 06 ऑनलाइन परीक्षाओं के परिणाम जारी किये गये है। वन दरोगा परीक्षा के अतिरिक्त सभी अन्य 05 परीक्षायें व उनका परिणाम उत्तम रहा है व इसमें नॉर्मलाइजेशन भी संतोषजनक रहा है। किसी एक परीक्षा के परिणाम के आधार पर अभ्यर्थियों द्वारा ऑनलाइन परीक्षाओं का मूल्यांकन किया जाना उचित नहीं है। भारत सरकार की परीक्षा संस्थायें 90 प्रतिशत परीक्षायें ऑनलाइन माध्यम से करा रही है व कई राज्य सरकारों के आयोग भी ऑनलाइन माध्यम से परीक्षायें सम्पन्न करा रहे हैं। आप स्वयं जानते हैं कि समस्त केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश परीक्षायें सी०बी०टी० माध्यम से ही होने जा रही हैं। ऑनलाइन परीक्षाओं में गड़बड़ी को पकड़ा जाना आसान है, क्योंकि सभी अभ्यर्थियों का प्रत्येक माउस क्लिक दर्ज किया जाता है साथ ही सभी परीक्षार्थी CCTV निगरानी में रहते हैं।
आयोग लगातार ऑनलाइन परीक्षाओं की पालियां कम करने व कम्प्यूटर टर्मिनल्स बढ़ानें के लिए प्रयासरत है। वर्तमान में लगभग 7000 कम्प्यूटर नोड्स राज्य में उपलब्ध है व नये कम्प्यूटर केन्द्र भी लगातार स्थापित हो रहे हैं। अतः निकट भविष्य में इनकी संख्या बढ़ेगी व उसी के अनुरूप पालियों की संख्या कम होगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के संस्थानों में 100 पालियों की ऑनलाइन परीक्षायें भी वर्तमान में आयोजित हो रही है। आयोग द्वारा अब तक अधिकतम 18 पालियों की परीक्षा कराई गयी है।
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के बारे में भी अभ्यर्थी अनावश्यक परेशान न हों क्योंकि आयोग द्वारा उपयोग की जा रही नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया व सूत्र प्रतिष्ठित संस्थानों यथा IIM CAT, GATE व SSC आदि द्वारा भी उपयोग में लाया जा रहा है। संघ लोक सेवा आयोग व राज्य लोक सेवा आयोग में भी कई परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को अपनाया जा रहा
वहां पर भिन्न-भिन्न विषयों यथा गणित से लेकर भाषा जैसे पृथक-पृथक विषयों में भी अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त किये गये अंकों के मध्य नॉर्मलाइज किया जाता है और शासन के कई वरिष्ठतम पदों पर नियुक्तियां होती हैं। कई बार अभ्यर्थी द्वारा परीक्षा परिणाम जारी करने में विलम्ब की शिकायत की जाती है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस मामले में हमारा आयोग सबसे पारदर्शी व समयबद्ध आयोग में से एक है। मैंने पिछली 80 परीक्षाओं का विश्लेषण किया और पाया कि परीक्षा परिणाम जारी करने में औसतन 4-5 माह का समय लिया गया है। परिणाम जारी करने की प्रक्रिया में सबसे अधिक समय प्रश्नों पर आपत्ति तथा उन आपत्तियों के निस्तारण में लगता है। आयोग इस प्रक्रिया को समयबद्ध करने के लिए भी शीघ्र कार्यवाही करेगा।
मैं यह बताने में गौरव महसूस हो रहा है कि आयोग किसी भी अन्य परीक्षा संस्था से अधिक पारदर्शिता से परीक्षा करा रहा है। अधिकांश आयोग अभ्यर्थियों से संवाद नहीं करते हैं किंतु उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा के सभी अभिलेखों के पारदर्शी प्रकाशन के साथ ही संवाद व ई-मेल के माध्यम से अभ्यर्थियों से संपर्क में रहता है। अधिकांश आयोग संस्तुति होने तक परीक्षाओं से संबंधित सभी जानकारियां नहीं देते है, यहां तक कि कहीं-कहीं उत्तरकुंजी का प्रकाशन, आपत्तियों का निराकरण भी नहीं किया जाता है। इसी प्रकार प्रारंभिक परीक्षा के अंक भी नहीं बतायें जाते है। पारदर्शिता ने आयोग व अभ्यर्थियों के मध्य आपसी विश्वास को बढ़ाया है। सभी अभ्यर्थी यह जानते हैं कि पिछले 5 वर्षों में आयोग की किसी भी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक नहीं हुआ जबकि अन्य स्थानों पर लगातार ऐसे मामले प्रकाश में आये है। अतः आयोग के शुचिता व गोपनीयता के प्रयासों की भी आप तुलना कर सकते हैं। कुछ परीक्षाओं में छोटी-छोटी गड़बड़ियां हुयी है किंतु आयोग ने सभी में कठोर कार्रवाई की व कई साजिशकर्ता गिरफ्तार हुये हैं।
हाल ही में परीक्षा के प्रश्नों को डिलीट करने के निर्णयों पर कई यू-ट्यूब चैनल्स द्वारा गैर जिम्मेदाराना टिप्पणियां की गयी है। सभी अभ्यर्थी जानते हैं कि लगभग सभी आयोगों में अधिकांश परीक्षाओं में प्रश्न निरस्त किये जाते हैं और प्रश्न निरस्तीकरण का राष्ट्रीय औसत लगभग 5 प्रतिशत है जबकि विभिन्न परीक्षाओं में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का निरस्तीकरण औसत 3 प्रतिशत ही है।
अतः ऐसी टिप्पणियों से परेशान न हों। मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह मत व्यक्त किया गया है कि परीक्षा मामलों में विषय विशेषज्ञों की राय अंतिम होनी चाहिए। आयोग भी इसी के अनुरूप विषय विशेषज्ञों की राय से कार्य कर रहा है।
उपरोक्त बातों को आपसे साझा करने के साथ ही मैं एक परीक्षा कार्यक्रम भी संलग्न कर रहा हूं। इसे वित्तीय व अन्य संसाधनों के अधीन समय पर पूरा करने का प्रयास रहेगा। आयोग में बहुत कम मानव संसाधन के बावजूद मेरा यह प्रयास होगा कि आयोग के सभी कार्मिक कड़ी मेहनत व निष्ठा से तथा बिना किसी बाहरी दबाव निष्पक्ष एवं उत्कृष्ट चयन में सहयोग करेंगे। आयोग मेहनत व मेरिट आधारित चयन के लिए प्रतिबद्ध है व मैं आशा करता हूँ आप में से कई अभ्यर्थियों का राज्य की सेवा में आने का सपना साकार होगा।