उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने वर्ष 2020 को अपने अंदाज में विदा कर नववर्ष का स्वागत किया। वे कई संकल्पों के साथ अपने मसूरी रोड स्थित आवास में 12 बजे से एक घंटे के लिए सांकेतिक उपवास पर बैठे। इस दौरान उन्होंने कहा कि सत्ता के अहंकार के खिलाफ सत्याग्रह ही हथियार है। उपवास के समापन पर हरीश रावत ने कहा कि सत्ता के अहंकार और जुल्म के खिलाफ विपक्ष हो या आम नागरिक, उसके पास केवल सत्याग्रह का रास्ता है। कहा कि राष्ट्रपिता हमको यह रास्ता दिखाकर के गए हैं। दिल्ली के दरवाजे पर हजारों किसान, जिंदगी को खतरे में डालकर, अपनी खेती व जीवन को बचाने के लिए खड़े हैं। केंद्र सरकार, उनकी मांग मानने से इनकार कर रही है। 45 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं, न जाने और कितने किसानों का बलिदान सत्ता चाहती है। उत्तराखंड से भी हमारे किसान जब आंदोलन में भाग लेने के लिए निकले तो उन पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। बाजपुर, रुद्रपुर, गदरपुर, किच्छा, सितारगंज, खटीमा, काशीपुर, दिनेशपुर, जसपुर, हल्द्वानी, लालकुआं, कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जहां से किसान दिल्ली न गए हों। हरिद्वार में एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है और उसकी हत्या कर दी जाती है। आक्रोशित लोग सड़क पर उतरते हैं। सरकार उन पर भी आपराधिक धाराओं में मुकदमे दर्ज रही है। उन्होंने कहा कि ये साल बीत रहा है। बहुत सारी कड़वी यादें, ये वर्ष छोड़कर के गया है। कुछ विरासत में देकर गया है। समाज ने कोरोना की महामारी से अपनों को खोया है। कोरोना आज भी एक खतरे के रूप में विद्यमान है। अर्थव्यवस्था रसातल पर जाने से बेरोजगारी बढ़ी है। न जाने कितने लोग हैं जो आधे पेट खाना खाकर सो रहे हैं। एक अनिश्चय भविष्य उनके सामने है। मैं इस वर्ष को विदा करने के लिए व अपने संकल्पों के साथ पिछले वर्ष की सभी कटु स्मृतियों को भी विदा कर रहा हूं। इस उपवास से मेरे संतृप्त मन को शांति प्राप्त होगी। मैंने यह सत्याग्रह का रास्ता भी इसलिए अपनाया है कि मौन उपवास इस वर्ष की कटु स्मृतियों से मन को शांति देने के लिए जरूरी है
हरीश रावत ने कुछ इस तरह कहा गए साल को अलविदा , नए साल के लिए जताई कई उम्मीदे
By
Posted on