प्रवक्ता पद पर काउंसलिंग से नियुक्ति में गेस्ट टीचर्स के पद को रिक्त न दिखाने के आदेश पर आदेश और अतिथि शिक्षकों के साथ की गई रियायत से शिक्षक खासे नाराज हैं । सोशल मीडिया पर इस मुद्दें पर जबदरस्त आक्रोश नजर आ रहा है शिक्षकों के अनुसार सरकार राजकीय शिक्षकों के साथ छलावा कर रही है । पहले अतिथि शिक्षकों को सुगम स्कूलों में प्रथम नियुक्ति दे दी और शिक्षा सचिव ने उनके पद रिक्त न माने जाने का आदेश जारी करके सुप्रीम कोर्ट के अतिथि शिक्षक नियुक्ति संबधी गाइडलाइन की अवमानना की है साथ ही उन शिक्षकों के हितों पर कुठाराघात किया है जो 15- 20 वर्षों से दुर्गम /अतिदुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं ।
स्थानांतरण प्रक्रिया तो सरकार द्वारा पहले ही स्थगित कर दी गई है और सुगम में आने की उनकी उम्मीद आज के आदेश से खत्म हो गयी है। शिक्षकों के अनुसार अपने चहेतों के लिए धारा -27 के द्वार खोल दिए हैं ,राजकीय शिक्षक संघ अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का विरोध नहीं करता है लेकिन अपने सदस्यों की हितों की अनदेखी भी नहीं कर सकता है। अतिथि शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति भी शिक्षकों की भांति केवल दुर्गम / अतिदुर्गम में करने की मांग करता है। साथ ही सुगम में नियुक्त अतिथि शिक्षकों को दुर्गम स्कूलों में रिक्त पदों पर समायोजित करने की पैरवी करता है, जिससे वर्षों से दुर्गम / अति दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे शिक्षकों की पदोन्नति सुगम के वास्तविक रिक्त पदों में हो सके ।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर विभिन्न मंचों पर राजकीय शिक्षक के उपाध्यक्ष मुकेश प्रसाद बहुगुणा, पूर्व अध्यक्ष राम सिंह चौहान, पूर्व गढ़वाल मंडलीय मंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली,, शिव सिंह नेगी, पुष्पेष सांगा, दिनेश जोशी, आदि ने सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है।चौहान ने कहा कि यह सीधा-सीधा शिक्षकों के हितों के साथ खिलवाड़ है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अतिथि शिक्षक नियुक्ति केवल स्थायी शिक्षक की नियुक्ति होने तक ही थी।
स्थायी शिक्षक की नियुक्ति होने पर अतिथि शिक्षक को पद से हटाया जाना था। पर, सरकार अतिथि शिक्षक वाले स्कूलों को ही काउसंलिंग से ही हटा दिया है।
संघ के प्रदेश महामंत्री डॉ.सोहन सिंह माजिला ने सुबह शिक्षा निदेशक आरके कुंवर से फोन पर बात कर नाराजगी जाहिर की। कहा कि यदि शिक्षकों के हित प्रभावित हुए तो संघ अदालत की शरण लेगा। वही शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने शिक्षकों को आश्वस्त किया कि एक भी शिक्षक का हित प्रभावित नहीं होगा। विभाग में पर्याप्त पद हैं। प्रवक्ताओं की काउंसलिंग की गाइड लाइन काफी विचार मंथन के बाद तैयार की गई है।जो शिक्षक सुगम का पात्र होगा उसे सुगम क्षेत्र में उसके दिए विकल्प के आधार पर तैनाती दी जाएगी। यही फार्मूला दुर्गम के पात्र शिक्षकों पर लागू होगा।
कुंवर ने कहा कि शिक्षा विभाग की प्राथमिकता छात्र हैं।हर स्कूल में शिक्षक रहें, इसका प्रयास किया जा रहा है। कांउसलिंग की प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जाएगा। इसे वर्चुअल माध्यम से करने पर भी विचार किया जा रहा है।
