वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का कहना है कि रविवार को ऋषि गंगा में आई आपदा का कारण ग्लेशियर के नीचे की चट्टान टूटना है, जिसके बाद लटका (हैंगिंग) ग्लेशियर भी नीचे आ गया और वहां एक झील बन गई, जो तबाही का कारण बनी। अभी वहां 25 और ग्लेशियर ऐसे हैं जो लटके हुए हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी विभाग के दो वैज्ञानिकों ने बुधवार को यहां हवाई सर्वे किया और अपने शुरुआती आकलन में इस निष्कर्ष पर पहुंचे। रविवार को आई आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक की जांच शुरू हो गई है। बुधवार को रैणी पहुंचे वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक मनीष मेहता और डा. विनीत कुमार ने बताया कि हवाई सर्वे में जो शुरुआती संकेत मिले हैं, उसके आधार पर चट्टान टूटने से यह आफत आई है। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में 25 ग्लेशियर हैं जो लटके हुए हैं।आपदा के दौरान ऋषि गंगा के ऊपर चट्टान का एक बड़ा हिस्सा टूटा, जिससे यहां लटका ग्लेशियर भी नीचे आ गया और एक झील बन गई। इस झील के टूटते ही पानी का सैलाब आ गया। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट से इसकी पूरी जानकारी मिल पाएगी, लेकिन प्रथम दृष्टया यही संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पानी के साथ आई मिट्टी, पत्थर, पेड़ों के सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। इनका लैब में परीक्षण भी किया जाएगा।
चमोली आपदा की नई थियोरी आ रही सामने अब वैज्ञानिक ये बता रहे कारण
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