पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने आखिरकार 22 दिन बाद नकल का गढ़ माने जा रहे मोरी के दुर्ग की दीवार तोड़ दी। विदेश में शरण लेने गया जिला पंचायत सदस्य भी पकड़ में आ गया और एक शिक्षक को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा अभी कई और ऐसे हाथ हैं, जिन पर हथकड़ियां कसने वाली हैं। इसकी जद में अभी और भी सफेदपोश आएंगे।
प्राथमिक जांच के बाद जब मुकदमा दर्ज हुआ तो एक सप्ताह के भीतर ही उत्तरकाशी जिले के मोरी का नाम सामने आ गया था। यहां जब जांच हुई तो पता चला कि हर गली-मोहल्ले का युवा मेरिट में नाम दर्ज कराए बैठा है। एसटीएफ को शक हुआ तो गिरफ्तार हुए आरोपियों ने मोरी के कई नकल माफिया के नाम गिना दिए। पता चला कि यहां 80 से ज्यादा अभ्यर्थी पास हुए हैं। इनमें से ज्यादातर ने नकल की है और नकल कराने वालों में एक जनप्रतिनिधि भी शामिल है।
यह नाम था हाकम सिंह रावत का। पता चला कि वह विदेश भाग गया है। एसटीएफ उसका इंतजार कर रही थी कि शनिवार को मोरी क्षेत्र में ही तैनात एक व्यायाम शिक्षक गिरफ्तार में आ गया। उससे पूछताछ में कई अहम जानकारी मिली है। इनकी कड़ियां जोड़ते हुए एसटीएफ आगे बढ़ रही है। कुछ दिन पहले एक महिला जनप्रतिनिधि का नाम भी सामने आया था। बताया जा रहा है कि अब इस महिला जनप्रतिनिधि की बारी है। इसके अलावा कई और ग्रामीण इलाकों के जनप्रतिनिधियों तक एसटीएफ पहुंच सकती है।
हाकम सिंह नकल कराने का पुराना खिलाड़ी बताया जा रहा है। उसने बड़े ही शातिराना ढंग से उत्तराखंड नहीं बल्कि सीमा क्षेत्र के बिजनौर जिले के ग्रामीण इलाके में एक किराये के मकान को नकल का सेंटर बनाया था। बताया जा रहा है कि अभ्यर्थियों को वहां ले जाकर हल किया हुआ पेपर मुहैया कराया गया था।
पेपर लीक मामले में हिरासत में लिए गए जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह के खिलाफ पहले भी मंगलौर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। यह मुकदमा भी आयोग की ही एक परीक्षा में नकल से संबंधित था। यह परीक्षा कनिष्ठ सहायक की थी। आरोप था कि उसने कई परीक्षार्थियों को नकल कराई है, लेकिन वह बेहद चालाकी से इस मामले में बच निकला। पुलिस को सबूत मिले नहीं या लिए नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन अंतिम रिपोर्ट लगाकर मामला बंद कर दिया गया।
अब बताया जा रहा है कि इस मामले में एसटीएफ के पास पुख्ता सुबूत हैं। सूत्रों के मुताबिक, उसने बिजनौर के नगीना में एक देहाती इलाके में स्थित मकान को नकल के सेंटर के रूप में चुना ताकि यदि पुलिस तक बात पहुंचे तो उसकी लोकेशन परीक्षा वाले सेंटरों से अलग आए। इस परीक्षा का बिजनौर से कोई लेनादेना नहीं था। ऐसे में यदि लोकेशन भी मिलती तो बिजनौर की और वह भी ग्रामीण इलाके की। यह इलाका कुमाऊं और गढ़वाल के बीच में आता है। ऐसे में उसे यह दिखाने में भी आसानी होती कि वह सफर में था, लेकिन इस बार पाला एसटीएफ से पड़ा था तो हाकम सिंह की यह चाल फेल हो गई।
हाकम सिंह ने यह मकान परीक्षा के पांच दिन पहले किराये पर लिया था। परीक्षा दो दिनों तक हुई थी। यहीं पर अभ्यर्थी आते थे और नकल का पर्चा देखकर परीक्षा देने चले जाते थे। ऐसा दो दिनों तक चला। परीक्षा समाप्त हुई तो हाकम सिंह ने इस मकान को एक दिन बाद ही छोड़ दिया। बताया जा रहा है कि यहां पर 20 से ज्यादा लोगों को नकल कराई गई थी।