भारी बारिश और बादल फटने से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग को भारी क्षति हुई है। मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने से पैदल मार्ग पर रामबाड़ा में दो पुल और भीमबली में 25 मीटर रास्ता बह गया, जिससे केदारनाथ धाम की यात्रा को रोक दिया गया है। साथ ही फंसे 4000 यात्रियों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। 3300 को पैदल निकला है जबकि 700 यात्रियों को हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया। वहीं, सोनप्रयाग गौरीकुंड से पांच लोग लापता हैं।
आपदा में बुधवार देर रात तक विभिन्न जगहों पर नौ लोगों की जान चली गई थी, वहीं, बृहस्पतिवार को प्रदेश में सात और लोगों की मौसम के कारण मौत हो गई। टिहरी के भिलंगना ब्लाॅक में ग्राम पंचायत जखन्याली के नौताड़ में बुधवार की रात बादल फटने से घायल हुए विपिन (30) की भी मौत हो गई, जबकि उनके माता-पिता भानुप्रसाद व नीलम की बीती रात ही मौत हो गई थी। रुद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय में एक व्यक्ति को मृत हालत में लाया गया था, जिसकी शिनाख्त नहीं हो पाई है। इससे पूर्व एसडीआरएफ ने भी एक अज्ञात शव को कालीमठ मोटर मार्ग पर विद्यापीठ के समीप नदी से बरामद किया।
दूसरी ओर, दिल्ली से सहस्रधारा घूमने आए दो युवकों इंद्रपाल और भूपिंदर राणा की मौत हो गई। उधर, देहरादून में डील फैक्ट्री के पास बहे दूसरे व्यक्ति अर्जुन सिंह राणा (52) निवासी रायपुर, देहरादून का भी शव बरामद हो गया। वहीं, विकासनगर में सहसपुर थाना क्षेत्र के कैंचीवाला में आशीष कलूड़ा (34) की नाले में डूबने से मौत हो गई। सीएम पुष्कर सिंह धामी और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और तीर्थयात्रियों से बातचीत करते हुए उनका हौंसला बढ़ाया। प्रशासन ने यहां यात्रियों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की है। बुधवार देर शाम साढ़े सात बजे से शुरू हुई तेज बारिश और रात साढ़े आठ बजे बिजली की तेज चमक और गर्जना के साथ लिनचोली से भीमबली के बीच बादल फट गय। इससे गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया।
