उत्तराखंड

भूमि फर्जीवाड़ा पर डीएम सख्त, पीड़िता को दिलाया न्याय – दोषियों पर होगी क्रिमिनल कार्रवाई

2007 में खरीदी गई भूमि 2020 में दोबारा बेची गई, जांच के बाद रिकॉर्ड में हुई दुरुस्ती

देहरादून। जिलाधिकारी सविन बंसल ने भूमि फर्जीवाड़ा के एक गंभीर मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए यह साफ कर दिया है कि प्रशासन अब इस प्रकार के मामलों में कोई ढिलाई नहीं बरतेगा। शास्त्रीनगर तपोवन निवासी पुलमा देवी की शिकायत पर त्वरित जांच के बाद जिला प्रशासन ने पीड़िता के पक्ष में भूमि का नामांतरण कराकर न्याय दिलाया है।

2007 में खरीदी थी भूमि, 2020 में दोबारा बेची गई
फुलसनी गांव में वर्ष 2007 में पुलमा देवी द्वारा खरीदी गई आवासीय भूमि (जो टिहरी विस्थापितों के लिए आवंटित की गई थी) को वर्ष 2020 में पूर्व भूमि स्वामी ने दोबारा किसी अन्य को बेच दिया। यह मामला जून माह के द्वितीय जनता दर्शन कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी के संज्ञान में आया, जिस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए डीएम ने जांच के आदेश दिए।

2019 में की गई पुनः भूमिधरी को निरस्त किया गया
जांच में पाया गया कि चन्दरू पुत्र अमरू ने पहले 2007 में भूमि विक्रय कर दी थी, लेकिन 2019 में पुनर्वास विभाग को गुमराह कर उसी भूमि पर दोबारा भूमिधरी हासिल कर ली। इस घोर लापरवाही पर डीएम ने अवस्थापना (पुनर्वास) खंड ऋषिकेश को फटकार लगाई। विभाग ने 07 जुलाई को तहसील विकासनगर को पत्र भेजकर 2019 की भूमिधरी को निरस्त करने तथा अभिलेखों में दुरुस्तीकरण करने का निर्देश दिया, जिसे तहसील प्रशासन ने तत्परता से पूरा किया।

जांच में खुलासा: विभागीय लापरवाही से हुआ फर्जीवाड़ा
डीएम की जांच में सामने आया कि चन्दरू ने 2007 में भूमि बेचने के बावजूद 2019 में पुनर्वास विभाग से भूमिधरी दोबारा प्राप्त कर ली। वरिष्ठ प्रबंधक (पुनर्वास), टिहरी बांध परियोजना ने भी इस बात की पुष्टि की कि तथ्यों को छिपाते हुए गलत तरीके से भूमिधरी हासिल की गई थी।

डीएम का सख्त संदेश – दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
जिलाधिकारी ने अधीक्षण अभियंता (टिहरी बांध पुनर्वास) का वाहन जब्त करने और उन्हें विवरण सहित तलब करने के निर्देश दिए। मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत क्रिमिनल जांच के लिए एसडीएम मुख्यालय अपूर्वा को जांच अधिकारी नामित किया गया है।

प्रशासन का स्पष्ट रुख – न्याय तक नहीं रुकेगी कार्रवाई
डीएम सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि जब तक पुलमा देवी को पूरी तरह न्याय नहीं मिल जाता, तब तक प्रशासन इस मामले में कार्रवाई जारी रखेगा। उन्होंने पुनर्वास परियोजना में हो रही अनियमितताओं पर भी सख्त चेतावनी दी है। यह प्रकरण अब जिले में पारदर्शिता और न्याय की दिशा में एक सख्त उदाहरण बन गया है।

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Author: Shubham Negi
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