लोकसभा से राज्यसभा तक नेहरू को लेकर विपक्ष और सरकार आमने-सामने
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का उल्लेख किए जाने पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने इसे सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया और दोनों नेताओं पर तीखा हमला बोला।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जवाहरलाल नेहरू का नाम लेकर हर बहस को भटकाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि दोनों नेता नेहरू के प्रति ‘ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी)’ से ग्रस्त हैं।
रमेश ने कहा, “लोकसभा में हुई चर्चा में एक बार फिर यह साफ हो गया कि सरकार के पास अपनी विफलताओं का कोई जवाब नहीं है। वे बार-बार नेहरू का नाम लेकर जनता को गुमराह करना चाहते हैं, क्योंकि उनकी नीतियों और कामकाज पर उठ रहे सवालों का सामना करने की उनकी मंशा नहीं है।”
उन्होंने कहा कि सार्थक बहस से बचने के लिए भाजपा के शीर्ष नेता इतिहास की गलत व्याख्या करते हैं और विपक्ष को बदनाम करने में जुट जाते हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह खुद को इतिहासकार समझते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ भ्रम फैलाना है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बयान:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कहा कि नेहरू सरकार ने अक्साई चीन का 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र गंवा दिया। उन्होंने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर करके भी रणनीतिक गलती की थी। पीएम ने सवाल किया कि पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) आज तक क्यों नहीं वापस लिया गया और इसका जिम्मेदार कौन है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश का विभाजन और पीओके की मौजूदा स्थिति नेहरू सरकार की नीतियों का परिणाम हैं। उन्होंने कहा, “1948 में जब भारतीय सेना कश्मीर में निर्णायक स्थिति में थी, तब नेहरू ने बिना किसी सलाह के युद्धविराम की घोषणा कर दी। सरदार पटेल इसके खिलाफ थे, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई।”
