उत्तराखंड

देहरादून:- महत्वपूर्ण खबर लोगो के स्वास्थ से जुड़ा मुद्दा, फोर्टीस अस्पताल ग्रुप का कार्डिएक सेंटर बंद होने वाला है

देहरादूनः कोरोनेशन अस्पताल परिसर में पीपीपी मोड के अंतर्गत संचालित हो रही फोर्टीस अस्पताल ग्रुप का कार्डिएक सेंटर बंद होने वाला है। हैरानी की बात यह कि राज्य के स्वास्थ्य महकमे ने बगैर इस सेंटर का विकल्प तैयार किए ही आनन फानन में इसे बंद करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य महकमा के इस अटपटे निर्णय के कारण उन तमाम मरीजों के इलाज पर संकट मंडरा रहा है जो यहां पर नियमित रूप से इलाज कराते थे।
काबिलेगौर है कि राज्य में हृदय रोग के मामले में बेहतर संस्थान नहीं हैं। ऐसे में करीब दस साल पहले पीपीपी मोड में कोरोनेशन अस्पताल परिसर में फोर्टीस अस्पताल से अनुबंध कर यहां पर दस साल के कार्डिएक यूनिट की स्थापना की गई थी। इस यूनिट से हृदय रोगियों को खासा लाभ मिल रहा था और यह न केवल देहरादून बल्कि पूरे उत्त्राखंड में हृदय रोगियों के इलाज के लिए एक भरोसे का नाम बन गया था।
सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों दस साल का अनुबंध खत्म होने से कुछ समय पहले फोर्टीस संस्थान की ओर से इस मामले में विभाग से दिशा‘-निर्देश भी चाहे गए लेकिन खुलकर कुछ नहीं बताया गया। अब एकाएक इस संस्थान को विभाग ने बंद करने का निर्णय लिया है। सूत्रों का कहना है कि 17 मार्च तक इस अस्पताल के प्रबंधन को अपना सामान समेटने और नई बिलिंग न करने के निर्देश दे दिए गए हैं। ये हाल तब हैं जबकि विभाग के पास इसका कोई विकल्प ही मौजूद नहीं है। सचिव डाॅ पंकज कुमार पाण्डेय ने इसे लेकर 15 मार्च को एक आदेश जारी कर रहा है कि इस यूनिट का अनुबंध 7 मार्च को समाप्त हो चुका है। ऐसे में निजी साझेदार से विभागीय परिसंपत्तियों के हस्तांरण की समस्या प्रक्रिया अनुबंध के प्रावधानों के अंतर्गत निर्धारित समय पूरी की जाए व आगे किसी नए मरीज का इलाज न किया जाए। अब बड़ा सवाल यह कि आखिर सरकार को इस सेंटर को बंद करने की इतनी जल्दी क्यों है। अभी तक विभाग की ओर से नए टेंडर भी नहीं किए गए हैं। ऐसे में एकाएक मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ क्यों और किसके इशारे पर किया जा रहा है।
ये मिलती थी सुविधाएं
इस सेंटर पर इको, कार्डिओ, एंजीओ, एंजीओप्लास्टी, दिल में छेद मरीजों का इलाज होता था। इसके अलावा पेस मेकर की सुविधा, काड्रिएक सर्जरी जटिल बायपास सर्जरी समेत चुंनिदा अस्पतालों में होने वाली बेंटाल सर्जरी भी यहां पर हुआ करती थी। इसके अलावा हृदय रोगियों से संबंधित तमाम जांच की सुविधा यहीं पर मरीजों को मुहैया होती थी। रोजना इस सेंटर पर 150 से 200 एंजीयो्राफी, 50 के करीब एंजीयोप्लास्टी होती थी। इसके अलावा छोटे बच्चों के दिल के छेद की समस्या का इलाज किया जाता था।
न्यूनतम दरों पर मिलता था इलाज
इस सेंटर पर मरीजों को न्यूनतम दरों पर इलाज की सुविधा मिलती थी। जहां बीपीएल मरीजों के इलाज का सारा खर्च सरकार वहन करती थी तो दूसरे सामान्य मरीजों का इलाज वर्ष 2014 के सीजीएचएच दरों पर हुआ करता था। यहां बड़ी बात यह कि इस सेंटर में शहर के तमाम दूसरे निजी अस्पतालों की तुलना में बेहद कम दरों पर इलाज किया जाता था।
हेल्थ लाॅबी का है पूरा खेल
इस पूरे प्रकरण में यह बात भी सामने आ रही है कि इसके पीछे हेल्थ माफिया का भी हाथ है। दरअसल, बहुत से अस्पतालों की नजर इस सेंटर पर थी। इस सेंटर पर न्यूनतम दरों पर हो रहे उपचार के कारण कई प्राइवेट अस्पतालों को दिक्कत होना शुरू हो गई थी। कई अस्पतालों को तो इस चक्कर में इसके आसपास से अपनी दुकानें बंद करनी पड़ी जबकि जिनके द्वारा इस स्तर की सुविधाएं दी भी जा रही हैं तो उन तक मरीज पहुंचते ही नहीं थे।
कोरोनेशन में भी नहीं है विकल्प
गजब तो यह कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग के पास वर्तमान में गिनती के ही कार्डिओलाॅजिस्ट हैं। सूत्रों की मानें तो हाल ही में विभाग ने कोरोनेशन अस्पताल में एक कार्डिओलाॅजिस्ट की तैनाती की लेकिन इन साहब ने भी यहां टिकने के बजाए एक प्राइवेट पार्टनर के साथ मिलकर कोरोनेशन के नजदीक ही अपनी कैथलैब खोल ली है। समझा जा सकता है कि विभाग बगैर विकल्प दिए किस कदर मरीजों की जान से खिलवाड़ पर उतारू है।
मरीज बोले, हम कहां जाएंगे
इस सेंटर में नियमित रूप से इलाज ले रहे हृदय रोगियों का कहना है कि अगर यह सेंटर बंद हो जाएगा तो उनके लिए बहुत दिक्कतें पैदा हो जाएंगी। लोगों के मुताबिक सरकार को चाहिए कि इस सेंटर के अनुबंध को आगे बढ़ाए ताकि उन्हें दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े। लोगों का कहना है कि इस सेंटर के बंद होने की स्थिति में उनके पास महंगे अस्पतालों में जाकर इलाज कराने के अलावा कोई चारा नहीं होगा जबकि यह उनके बस में नहीं।

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Author: Shubham Negi
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