स्वास्थ्य

क्या आप भी करते हैं मखाने का अत्यधिक सेवन? अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान

मखाना एक बेहद फायदेमंद ड्राई फ्रुट है। इसका सेवन करने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। मखाना अपनी उच्च पोषण क्षमता के कारण आजकल स्वास्थ्य प्रेमियों की पहली पसंद बन चुका है। प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फाइबर से भरपूर होने के कारण इसे सुपरफूड की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन किसी भी चीज़ की तरह, इसका अत्यधिक सेवन या बिना समझे इसका उपयोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसलिए जरूरी है कि इसके लाभों के साथ-साथ इसके संभावित नुकसान भी समझे जाएं। इस लेख में हम जानेंगे कि मखाना किन परिस्थितियों में आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है और इसे कितना खाया जाना सुरक्षित है।

1. पाचन संबंधी परेशानी और कब्ज का खतरा

मखाने में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो सामान्य मात्रा में शरीर के लिए लाभकारी है। लेकिन इसकी अधिक मात्रा का सेवन और पानी कम पीना पाचन तंत्र को धीमा कर देता है। ज्यादा मखाना खाने पर यह पेट में सूखकर सख्त रूप ले सकता है, जिससे गैस, पेट फूलना और कब्ज जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसे खाने के बाद पर्याप्त पानी पीना जरूरी है।

2. शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन)

फाइबर युक्त भोजन को पचाने में शरीर को अतिरिक्त पानी की जरूरत होती है। अगर आप एक बार में अधिक मखाना खा लेते हैं लेकिन पानी का सेवन नहीं बढ़ाते, तो डिहाइड्रेशन की स्थिति बन सकती है। इससे न सिर्फ पाचन तंत्र प्रभावित होता है, बल्कि शरीर सुस्त महसूस करने लगता है।

3. किडनी स्टोन का बढ़ा जोखिम (ऑक्सालेट मौजूद)

कुछ शोध बताते हैं कि मखाने में ऑक्सालेट पाया जाता है। वही तत्व जो किडनी स्टोन बनने में योगदान देता है। जिन लोगों को पहले से पथरी, गाउट या किडनी से जुड़ी समस्या है, उन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के मखाने का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्टोन बनने के खतरे को बढ़ा सकता है।

4. एक दिन में कितने मखाने सुरक्षित हैं?

विशेषज्ञों के अनुसार एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन लगभग 30 ग्राम (एक मुट्ठी) मखाना पर्याप्त है। यह मात्रा शरीर को जरूरी पोषक तत्व देती है और किसी प्रकार की पाचन समस्या भी नहीं पैदा करती।

कुछ लोग अपनी शारीरिक गतिविधि के आधार पर 30 से 50 ग्राम तक का सेवन भी कर सकते हैं, लेकिन इससे अधिक मात्रा में मखाना खाने पर कब्ज, गैस और डिहाइड्रेशन की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए मात्रा तय करते समय अपने पानी के सेवन और जीवनशैली को भी ध्यान में रखें।

(साभार)

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Author: Shubham Negi
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