बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज की जाँच रिपोर्ट आने के बाद इसमें जो कार्यवाही हुई उसपर हरीश रावत ने बड़े सवाल खडे किए हैं। पुलिस_लाठी_चार्ज और उसके पहले और बाद में घटित घटनाओं को लेकर जांच अधिकारी की रिपोर्ट पूर्णतः हास्यास्पद है। जांच के आधार पर एसएसआई से लेकर के एलआईयू के छोटे अधिकारियों को स्थानांतरित करने की अनुशंसा की गई है अर्थात उन्हें घटनाक्रम के लिए किसी न किसी रूप में दोषी माना गया है!
यदि इस जांच रिपोर्ट और उसके निष्कर्ष का तथ्यात्मक विश्लेषण किया जाए तो एक बात सुनिश्चित तौर पर कही जा सकती है कि पहले दिन, रात और दूसरे दिन भर की अराजकता के लिए कुछ ही लोग बहुत नीचे स्तर के अधिकारी ही जिम्मेदार थे अर्थात इन अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से या तो कोई निर्देश लिया नहीं या उनके निर्देश की पूर्णतः अवहेलना की, तो इससे जाने-अनजाने में जांच अधिकारी ने यह इंगित कर दिया है कि पहले दिन की रात और दूसरे दिन, राज्य का पुलिस तंत्र पूरी तरीके से निष्प्रभावी था।
कुछ छोटे अधिकारियों को इंगित करने और उनके लिए कुछ दंड सुझाने का अर्थ यह है कि उन्होंने सारे निर्णय उस 2 दिन केवल अपने स्तर से लिए और वरिष्ठ अधिकारी या तो उस दिन कहीं और अंतरिक्ष में विचलन कर रहे थे या पूर्णतः निष्क्रिय थे या सुषुप्त अवस्था में थे!
