15 दिसंबर 2022 को स्पेशल सीबीआई मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने इस क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ ही पुलिसकर्मियों की ओर से निगरानी याचिका स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दाखिल की गई थी।
मामले में पुलिसकर्मियों की ओर से स्पेशल सीबीआई कोर्ट में अपील की गई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पाया है कि सीबीआई के पास मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। ऐसे स्पेशल कोर्ट ने लोअर कोर्ट को गुणदोष के आधार पर साक्ष्यों का उल्लेख कर आदेश पारित करने के आदेश दिए हैं। मामला सितंबर 2012 का है। अजय बरसाती नाम के एक युवक को 12 सितंबर 2012 को पुलिस ने चोरी के आरोप में पकड़ा था।
इसके बाद उसे न्यायालय में पेश किया गया और फिर जेल भेज दिया गया। वहां 18 सितंबर को उसकी तबीयत खराब हुई तो उसे दून अस्पताल लाया गया। यहां उसकी मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि अजय को पुलिस ने चार सितंबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसे आठ दिनों तक अवैध हिरासत में लेकर मारपीट की गई। इससे लगी चोटों के कारण उसकी मौत हो गई। मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। परिजनों की मांग के आधार पर मामला सीबीआई के पास चला गया।
जांच के बाद सीबीआई ने भी क्लोजर रिपोर्ट लगा दी, लेकिन 15 दिसंबर 2022 को स्पेशल सीबीआई मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने इस क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ ही पुलिसकर्मियों की ओर से निगरानी याचिका स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दाखिल की गई थी। स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने पाया कि अजय बरसाती के शरीर पर चोट के निशान थे, लेकिन एम्स की रिपोर्ट भी यह साफ नहीं करती है कि यह चोट पुलिसकर्मियों की मारपीट में लगी है।
