अजय देवगन और रकुल प्रीत सिंह की रोमांटिक–कॉमेडी ‘दे दे प्यार दे 2’ वीकेंड पर दर्शकों को उम्मीद के मुताबिक सिनेमाघरों तक खींचने में नाकाम रही है। रिलीज़ के तीन दिन बीतने के बाद भी फिल्म अपनी पकड़ मजबूत नहीं बना पाई। रविवार के कलेक्शन ने साफ कर दिया कि पहले वीकेंड पर फिल्म को वह बढ़त नहीं मिली, जिसकी अपेक्षा की जा रही थी।
तीसरे दिन की कमाई उम्मीद से कम
आंकड़ों के अनुसार, फिल्म ने रविवार यानी तीसरे दिन 13.75 करोड़ रुपये का कारोबार किया। आमतौर पर रविवार को कलेक्शन में उछाल देखने को मिलता है, लेकिन इस बार फिल्म को वीकेंड का फायदा उतनी मजबूती से नहीं मिल पाया। शुरुआती उत्सुकता के बाद भी बॉक्स ऑफिस ग्राफ उम्मीद के अनुरूप नहीं बढ़ सका।
धीमी ओपनिंग के बाद मिला मिलाजुला वीकेंड
रिलीज से पहले फिल्म को लेकर चर्चा अच्छी थी और ट्रेलर ने दर्शकों की दिलचस्पी भी बढ़ाई थी। इसके बावजूद पहले दिन की ओपनिंग कमजोर रही। शनिवार को कलेक्शन में लगभग 40% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे टीम को उछाल की उम्मीदें बढ़ीं, मगर रविवार को बॉक्स ऑफिस का तापमान फिर ठंडा पड़ गया।
वीकेंड का कुल कारोबार औसत
तीन दिनों के अंत तक फिल्म का कुल कलेक्शन 34.75 करोड़ रुपये पहुंचा। यह आंकड़ा बुरा नहीं है, लेकिन फिल्म के बजट और फ्रेंचाइज़ी की लोकप्रियता को देखते हुए इसे संतोषजनक भी नहीं कहा जा सकता। ट्रेड एक्सपर्ट का मानना है कि अब फिल्म की असली परीक्षा वीकडेज़ पर होगी, जहां स्थिर कमाई की जरूरत होगी।
दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
फिल्म को लेकर दर्शकों की राय दो हिस्सों में बंटी दिख रही है। कुछ लोग अजय–रकुल की केमिस्ट्री को फ्रेश और मनोरंजक बता रहे हैं, जबकि कई दर्शकों का कहना है कि इस बार कहानी में वह भावनात्मक गहराई नहीं है, जिसने पहले भाग को सफल बनाया था। सोशल मीडिया पर भी रिव्यू सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह के देखने को मिले।
पहले पार्ट की तुलना में कमज़ोर शुरुआत
2019 में रिलीज हुई ‘दे दे प्यार दे’ ने ओपनिंग से ही बेहतरीन प्रदर्शन किया था और जल्दी ही 100 करोड़ क्लब में शामिल हो गई थी। इसके मुकाबले दूसरा भाग बॉक्स ऑफिस पर धीमी शुरुआत के साथ उतरा है। दूसरे दिन की कमाई ने भले ही थोड़ी राहत दी, लेकिन रविवार का गिरा ग्राफ फिर चिंता बढ़ा गया।
नई कास्ट ने जोड़ा ताजगी का तत्व
सीक्वल में आर. माधवन, मीज़ान जाफरी और जावेद जाफरी जैसे कलाकार जुड़े हैं, जिन्होंने अपने किरदारों में नई ऊर्जा लाई है। गौतमी कपूर और इशिता दत्ता ने भी कहानी के भावनात्मक पक्ष में अपनी भूमिका निभाई। हालांकि ड्रामा और एंगल नए दिखते हैं, फिर भी यह बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा सके।
कहानी का बदला फोकस
कहानी वहीं से आगे बढ़ती है जहां पहला पार्ट खत्म हुआ था। इस बार फोकस रकुल प्रीत के परिवार पर शिफ्ट हो जाता है, जहां उम्र के अंतर और रिश्ते की स्वीकार्यता को लेकर कई हास्य और भावुक स्थितियां पैदा होती हैं। हालांकि कुछ हिस्सों में कॉमेडी असरदार है, लेकिन कहानी की गूँज पहले पार्ट जितनी मजबूत महसूस नहीं होती।
निर्देशन और तकनीकी पहलू
अंशुल शर्मा ने फिल्म को हल्के-फुल्के टोन में पेश किया है। सिनेमैटोग्राफी और लोकेशन्स आधुनिकता का एहसास कराते हैं। तकनीकी रूप से फिल्म ठीक-ठाक है, लेकिन संगीत के मामले में यह पहले भाग की तुलना में फीकी पड़ती है, जहां कई गीत सुपरहिट हुए थे।
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