देहरादून । अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर उत्तराखंड शिक्षा विभाग से आज की बड़ी ख़बर आ रही है। उत्तराखंड शिक्षा निदेशालय ने मुख्य शिक्षा अधिकारियों से ऐसे शिक्षकों का ब्योरा मांगा है, जो लंबे समय से अनुपस्थित या बीमार हैं। शिक्षा निदेशालय के इस पत्र से प्रदेश के करीब 65 हजार शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की धड़कनें बढ़ गई हैं। नियमानुसार कार्य करने में अक्षम 50 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी।
इस संबंध में शिक्षा निदेशालय का पत्र मिलने के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारियों ने खंड शिक्षा अधिकारियों से ऐसे शिक्षकों, प्रधानाचार्य और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सूची मांगी है, जो अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दायरे में आ रहे हैं। अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए विभाग की ओर से 6 मानक तय किए गए हैं। इनके अंतर्गत आने वालों का नाम सूची में शामिल किया जाएगा।
अपर शिक्षा निदेशक गढ़वाल मंडल महावीर सिंह बिष्ट ने बताया कि मंडल के सभी जिलों से नवंबर अंत तक ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी गई है। सभी जिलों से सूची प्राप्त होने के बाद विभाग की ओर से गठित कमेटी इस पर अंतिम निर्णय लेगी।
शिक्षा निदेशक आरके कुंवर का कहना है कि कोरोनाकाल के चलते अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए जिलों से शिक्षकों व कर्मचारियों की सूची आने में देरी हुई। यह सूची उपलब्ध कराने के लिए जिलों के पास नवंबर तक का समय है।
शिक्षा विभाग किन शिक्षकों को दे सकता है अनिवार्य सेवानिवृत्ति
1-लंबे समय से बीमार कार्मिकों को।
2-शासकीय कार्य में असमर्थ होने पर।
3-गैरहाजिर रहने और लगातार छुट्टियां लेने वालों को।
4-उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने वालों को।
5-राजकीय कार्य में बाधा डालने पर।
6-जिनकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध है या किसी जांच में दोषी पाए गए हों।
