क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली मामले में दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि देहरादून की निगरानी कमेटी के सुझावों पर क्या किया जा सकता है।
इन सुझावों में प्रदेश में पूर्णत: लॉकडाउन की बात भी कही गई है। इसके अलावा, बागेश्वर जिले की निगरानी कमेटी की रिपोर्ट नहीं आने पर हाईकोर्ट ने सात अक्तूबर तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए कि सभी निगरानी कमेटियों को निरीक्षण करने के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध कराएं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर
मामले के अनुसार हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारंटीन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड लौटे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की थीं।
पूर्व में बदहाल क्वारंटीन सेंटरों के मामले में जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटीन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
इसका संज्ञान लेकर कोर्ट ने इन अस्पतालों की नियमित निगरानी करने के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे।देहरादून की निगरानी कमेटी के सुझाव :
देहरादून की निगरानी कमेटी ने 12 सुझाव दिए है :
-प्रदेश में 15 दिन के लिए पूर्णत: लॉकडाउन कर देना चाहिए।
-मास्क और गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर जुर्माने की राशि को बढ़ा दिया जाए।
-नगर निगम की कूड़ा गाड़ियों का लाउड स्पीकर के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जाए।
-कंटेनमेंट जोन में सख्ती कर वहां आवागमन रोका जाए।
-क्वारंटीन सेंटरों में खाने की सुविधा में जो कमी है, उसे दूर किया जाए।